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बढते बच्‍चों को हेल्‍दी फूड कैसे दें? | How to give healthy food to growing children?

Updated: Aug 2, 2022



अभी यह समय स्‍वास्‍थ्‍य के नजरिये से किसी के लिए भी ठीक नहीं है। इस समय करोना-19 माहमारी है। संक्रमण से बचने के लिए बच्‍चों की इम्यूनिटी पावर का स्‍ट्रोंग होना बेहद ही आवश्‍यक है। यदि संतुलित भोजन करेंगे तो बच्चे हेल्दी और स्वस्थ रहेंगे उनकी इम्यूनिटी पावर स्‍ट्रोंग होगी और संक्रमण से सुरक्षित तथा बीमारियों से बचे रह सकेंगे।

 

अभी जो समय चल रहा है उसमें सभी स्‍वयं को बहुत ही नीरस और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।इससे सभी में मानसि‍क तनाव जैसी स्थिति बन गई है। बच्‍चे क्‍या सभी का जीवन लगभग अरूचिपूर्ण हो गया है। सभी मानसिक रूप से परेशान हैं। भोजन को लेकर भी यही स्थिति है। बच्‍चों का शारीरिक श्रम नहीं हो पाता तो खुलकर भूख नहीं लगती, इसलिए बच्‍चे खाने का लेकर अरूचिपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। बच्‍चों के लिए खेल-कूद बहुत ही आवश्‍यक है। लेकिन अभी यह घर में रहकर तो शायद संभव नही है। इसलिए आवश्‍यक है कि घर में रहकर ही बच्‍चों को कुछ ऐसी एक्‍सरसाइज करवायें जिससे वह थोडा थकें, शारीरि‍क श्रम हो। इसके लिए घर में ही डांस, बैडमिंटन, स्‍कीपिंग, हल्‍के व्‍यायाम जैसी कई एक्‍टीविटज हैं जो घर में रहकर बच्‍चों को करवाई जा सकती हैं।



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आजकल बढ़ते बच्चों में खाने को लेकर अरूचि पैदा होती जा रही है। बच्चे घर का बना खाना, खाना ही नहीं चाहते। यदि खाते भी हैं तो बडे ही बे-मन से। टीवी के आगे बैठकर बच्‍चे चिप्‍स आदि अधिक खाते हैं जो सेहत के लिए बिल्‍कुल भी अच्‍छे नहीं हैं। इससे बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। बच्चों में वजन बढना आम बीमारी है। आज छोटे बच्चे डायबिटीज, थायरॉयड जैसी बीमारियों का शिकार हैं। बच्चों की हडिडयां कमजोर हैं। जल्दी थक जाते हैं। आधुनिक जीवनशैली और अधिक सुख-सुविधाओं ने बच्चों को कई बीमारियों का शिकार बना दिया है। हम केवल यह सोचकर तो अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते कि क्या करें, बच्चे घर का खाना खाते ही नहीं। इसके लिए हमें अपनी भी सोच और रवैया बदलनाा चाहिए। हमें बच्चों के लिए ऐसा भोजन तैयार करना चाहिए जिससे बच्चों में भोजन के प्रति रूचि पैदा हो।

अभी बाहर जाकर खाना खाना सुरक्षित नहीं है। वैसे भी बाहर का खाना, अधिक तेल और मसालेदार होने के साथ ही हाइजीनिक भी होता है। जो स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव डालता है।


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सर्वप्रथम भोजन को आकर्षक बनायेें। उसे इस प्रकार तैयार करेें कि वह खाने में तो स्वादिष्‍ट हो ही, साथ ही देखने में भी अच्छा लगे। भोजन को आकर्षक ढंग से परोसें। बच्चे रेस्टोरेंट आदि की ओर आकर्षित होने की भी यही वजह हैं कि उनके सामने एक सजी हुई प्लेट परोसी जाती है।


बच्चे अक्सर जंक-फूड खाना अधिक पसंद करते हैं। बच्चों की इन्हीं आदतों से अक्सर मांएं परेशान रहती हैं। इसके लिए आप घर के भोजन को थोडा जंक-फूड का टच दे सकती हैं। आपने स्प्रिंग रोल तो खाये ही होंगे। हम घर के बने परांठों को स्प्रिंग रोल का टच दे सकते हैं। इसके लिए आटा गूंधते समय आटे में थोडी मैदा और मोयन की जगह मलाई का प्रयोग करें। परांठों का पतला बनायें। भरावन के लिए सूखी सब्जी बनायें। आप मिक्स वेज भी बना सकती हैं।

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बच्चों के लिए सब्जियों को थोडा क्रंची रखें। चायनीज टैस्ट के लिए थोडी टमाटो सॉस मिला दें। अब इन सब्जियों और परांठों से स्प्रिंग रोल तैयार करें। परोसते समय सब्जी अलग और परांठे अलग देने की बजाय इसे परांठों का रोल बनायें और इन्हें आधा टिशू पेपर में लपेट कर प्लेट पर सजायें। साथ ही बच्चों को कुछ सलाद भी सर्व करें। सजी हुई प्लेट देखकर बच्चा आपके बनाये खाने को मना नहीं कर सकेगा। इसी प्रकार बच्चों का टिफिन भी तैयार करें। साथ ही बच्चों को प्यार से जंक फूड और उससे होने वाले नुकसान के बारे में भी बतायें। धीरे-धीरे बच्चा हेल्दी फूड खाना शुरू कर देगा।



भोजन का समय निश्चित करें। सर्वप्रथम परिवार के सभी लोग साथ बैठकर भोजन करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप या बच्चे भोजन करते समय टीवी और मोबाइल का इस्तेमाल न करें। इससे बच्चों को ध्यान ही नहीं रहता कि वह क्या खा रहे हैं या भोजन स्वादिष्ट है या नहीं, जिससे वह खाने में रूचि नहींं ले पाते। यदि संभव हो तो भोजन करने से पहले, बच्चों को सूप पीने को दें। इससे बच्चों की भूख खुलेगी। भोजन बनाने से पहले बच्चों की पसंद न पसंद पूछें और उनके सामने विकल्प अवश्य रखें और उनमें से ही चुनने को कहें।



भोजन बनाते समय बच्चों को छोटे-मोटे कामों में शामिल करें और इस बीच बच्चों को भोजन संबंधी जानकारी देते रहें। बच्चों को बतायें कि हमें पौष्टिक भोजन क्यों करना चाहिए। इसके क्या लाभ हैं और संभव तो यह भी जानकारी दें कि यदि हम पौष्टिक भोजन नहीं करेगें तो क्या नुकसान हो सकते हैं। प्रतिदिन के भोजन में बच्चों के लिए बच्चों की पसंद की एक डिश अवश्य बनायें।


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सप्ताह में बच्चों के लिए एक बार फास्ट फूड अवश्य बनायें और उसे पूर्णतः पौष्टिक भी बनायें इसके लिए आप भोजन को देशी घी में बनायें। आटा आदि गूंधने में दूध या मलाई का प्रयोग करें। भरावन में सभी प्रकार की सब्जियां या पनीर और चीज का प्रयोग करें। यदि बर्गर या पिज्जा आदि बना रहे हैं तो उनमें सब्जियों को प्रयोग करें। तलने की बजाय शेलो फ्राई करें।




एक कहावत है कि सुबह का भोजन एक राजा की भांति करना चाहिए। जिसमें आप सभी अपने मनपसंद की चीजें खा सकते हैं। जैसे पूरी, परांठा, सब्जी, पनीर, दूध, दही, चीज, अंडा, मक्‍खन, फल आदि कुछ भी खा सकते है, क्योंकि रात के भोजन और सुबह के भोजन में समय का फासला काफी होता है। अगर आप या बच्चा सुबह भरपूर संतुलित भोजन करते हैं तो 1 से 1-30 बजे तक भूख नहीं लगेगी। अगर भूख लगती भी है तो आप कोई मौसमी फल या जो बच्‍चों को अच्‍छा लगे क्‍योंकि ऐसे में बच्‍चा ये चीजें अधिक नहीं खायेगा क्‍योंकि उसने सुबह नाशता किया है। इसलिए आप बच्चे को खाने के लिए दे सकते हैं।



अक्सर यह भी देखा गया है कि बच्चे केवल एक गिलास दूध पीकर ही स्कूल चले जाते हैं। ऐसा बिल्कुल न होने दें। अभी स्‍कूल बंद हैं, किन्‍तु जब भी बच्‍चों को स्‍कूल भेजें अच्‍छा नाश्‍ता कराकर ही भेजें। ब्रेकफास्ट की तैयारी रात को करके ही सोयें जिससे सुबह बच्चों की पसंद का ब्रेकफास्ट तैयार करने में परेशानी न हो। बच्‍चों को दूध देने की बजाय फ्रूट स्मूथी बनाकर दे सकते हैं, जिसमें आप शहद, ड्राई फ्रूट आदि का प्रयोग आसानी से कर सकते हैं। परांठे की जगह बेसन का चीला, उत्पम, उपमा, या वडा बनाकर दिया जा सकता है जिसमें सब्जियों का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। स्कूल के लंच में टिक्की, स्प्राउट चाट, फ्रूट चाट, चीले को फोल्ड करके उसमें पनीर या अंडे भुर्जी का भरावन भरा जा सकता हैं। इसके अलावा कई चीजें हैं जो बच्‍चे खाने में ना-नुकर करते हैं। उन्‍हें हम किसी दूसरे तरीके से भोजन के रूप में दे सकते हैं। जैसे कददू या सोयाबीन की बडियां, बहुत ही कम बच्‍चे हैं जो इन्‍हें खुश होकर खाते हैं। ऐसे में इनका पाउडर बनाकर इन्‍हें आलू टिक्‍की, आलू या पनीर के परांठे आदि में मिलाकर बच्‍चों को खिलाया जा सकता है।


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सीताफल के भरवां परांठे या कचौडी आदि‍ बनाकर दे सकते हैं। सीधा फल देने की बजाये बच्‍चों को फ्रूट चाट या फलों को अलग-अलग और आकर्षक आकार में काटकर दे सकते हैं। जैसे सूरज का आकार, चिडिया का आकार आदि। मुझे आज भी याद है जब हम बच्‍चे खाना नहीं खाते थे तो मम्‍मी हमें आटे की चिडिया बनाकर दिया करती थीं। एक-एक कर हमें पता ही नहीं चलता था कि हम कब एक या रोटी की मात्रा खा जाते थे और हमारा पेट भर जाता था। इस तरह मम्‍मी भी खुश और हम भी खुश।




इस बात का विशेष ध्‍यान रखें कि बच्चों को घर से बिना ब्रेकफास्ट के स्कूल न भेजें। इससे उनका एनर्जी लेवल काफी कम हो जाएगा और बच्चे हमेशा थका-थका महसूस करेंगे और स्कूल की एक्टिविटी आदि में हिस्सा लेने से दूर रहेंगे। इसलिए बच्चों को हमेशा ब्रेकफास्ट कराकर की भेजें।


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अभी इस समय करोना जैसी महामारी फैल रही है उसमें बच्‍चों की इम्यूनिटी पावर का स्‍ट्रोंग होना बेहद ही आवश्‍यक है। बच्चे हेल्दी और स्वस्थ रहेंगे। संतुलित भोजन करेंगे तो उनकी इम्यूनिटी पावर स्‍ट्रोंग होगी। वह बीमारियों से बचे रह सकेंगे। इम्यूनिटी को स्‍ट्रोंग बनाने के लिए बच्चों को विटामिन सी के स्रोत वाले पदार्थों को भोजन में अवश्‍य शामिल करें। प्रतिदिन बच्चों को नींबू पानी अवश्‍य दें। इसकेे अलावा बच्‍चों को नीबू पानी, अदरक, इलायची और लौंग और तुलसी के पत्‍तों की हर्बल चाय दिन में एक बार अवश्‍य दें। से रात को सोते समय हल्‍दी का दूध पीने का दें। इससे बच्‍चेे बदलते मौसम और करोना-19 जैसे संक्रमण से बचे रहेंगे।





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