गर्मियों में कैसे रखें सेहत का ख्याल | How to take care of health in summer
Updated: Mar 12

गर्मियों में पेट की गर्मी बढ जाती है। इसमें अपच, पेट दर्द, पित्त का बढना, गैस, पेट में इन्फेक्शन की परेशानी अधिक होती है। पेट में गर्मी होने पर छाती या सीने में जलन महसूस होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, मुंह में खट्टा पानी और खट्टी डकारें आती हैं, घबराहट और उल्टी जैसा महसूस होता है, पेट में जलन और पेट फूलना आम समस्या है। उपरोक्त परेशानियों से काफी तक बचा जा सकता है, बस थोडी सावधानी रखें।
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गर्मियों का मौसम अपने साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लाता है। ये समस्याएं पेट से सम्बन्धित अधिक होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्मियों में पेट की गर्मी बढ जाती है। इसमें अपच, पेट दर्द, पित्त का बढना, गैस, पेट में इन्फेक्शन की परेशानी अधिक होती है। पेट में गर्मी होने पर छाती या सीने में जलन महसूस होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, मुंह में खट्टा पानी और खट्टी डकारें आती हैं, घबराहट और उल्टी जैसा महसूस होता है, पेट में जलन और पेट फूलना आम समस्या है। उपरोक्त परेशानियों से काफी तक बचा जा सकता है, बस थोडी सावधानी रखें और निम्नलिखित बातों का पालन करें-
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सुबह उठते ही गुनगुना पानी पीयें। सुबह के समय नारियल पानी पीयें, जिससे पेट के इन्फेक्शन से बचा जा सके।
दोपहर के समय लस्सी पीयें, आप एलोवेरा या आंवले का जूस भी पी सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में बेल का शरबत बहुत ही लाभकारी है। यह पेट को ठंडा रखता है। खीरा ककडी भी खूब खायें।
भोजन समय पर करें। खाली पेट रहने से गैस की समस्या हो सकती है। गर्मियों में प्रयास करें कि सादा भोजन करें।
पाचन अथवा डाइजेशन को ठीक रखने के लिए खाने के साथ हरा धनिया, पोदीना, प्याज का सेवन अवश्य करें।
बच्चों को यदि पेट दर्द की समस्या हो तो थोडी सी हींग दो बूंदें पानी की डाल कर बच्चे की नाभि पर लगायें। कुछ ही समय में बच्चे को आराम मिल जायेगा।
एसिडिटी होने पर
बहुत अधिक मसाले वाले भोजन या नॉनवेज खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है, इसके अलावा अपनी मर्जी से कुछ पेन किलर दवाइयां लेना, समय पर खाना न खाना, अनियमित लाइफस्टाइल भी एसिडिटी का कारण बनते हैं।

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पेट को ठंडा रखें
रोज सुबह ठंडे दूध में एलोवेरा का जूस मिलाकर पीयें। यह पेट को ठंडा रखने का रामबाण इलाज है। दूध का कैल्शियम पेट को एसिड को सोखकर उसे आसानी से खत्म कर देता है।
खाना खाने के बाद केला खाने से भोजन आसानी से पच जाता है।
इलायची की तासीन ठंडी और स्वाद मीठा होता है, इस कारण यह पेट को ठंडा रखने और पेट के एसिड को कम करने में मदद करती है।
5 ग्रा. नौसादर 5 ग्रा. मीठा सोडा मिलाकर ताजे पानी के साथ लेने से एसिडिटी की समस्या दूर होती है।
5 ग्रा. अजवाइन, 2 ग्रा. काला नमक मिलाकर गरम या गुनगुने पानी की फंकी मारने से एसिडिटी से तुरंत आराम मिलता है।
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डायरिया होने पर
गर्मियों का मौसम वातावरण में बहुत बदलाव लेकर आता है। यदि पहले सावधानी न बरती जाये तो बीमार होने का खतरा अधिक होता है। इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस की वजह से लूज मोशन यानी डायरिया का खतरा अधिक रहता है। बच्चों में रोटा वायरस की वजह से डायरिया का खतरा बढ जाता है।

बाहर की चीजें न खायें। दूषित खाने-पीने की चीजों से बचें।
डायरिया होने पर पेट के नीचे वाले हिस्से में दर्द होता है। पेट में मरोड, उल्टी आने, बुखार होने जैसे लक्षण होते हैं। शरीर से पानी और मिनरल्स, लूज मोशन के कारण बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर कमजोर पडने लगता है और डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
कई लोग गर्मियों में स्वीमिंग के लिए जाते हैं। एक ही पूल में नहाने से बैक्टीरिया फैल जाता है और डायरिया का कारण बनता है। यदि स्वीमिंग करनी ही है तो घर आकर साफ पानी से अवश्य नहायें।
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शरीर में पानी की कमी न होने दें। लिक्विड ज्यादा लें।
डायरिया में छाछ का सेवन अवश्य करें।
डायरिया में मरीज को पानी की कमी पूरी करने के लिए ओआरएस, नमक-चीनी का घोल अवश्य दें।
आधा नींबू का रस, दो बडे चम्म्च शहद और चुटकी भर नमक मिलाकर मरीज को दें।
डायरिया होने पर चावल का सेवन अवश्य करें। चावल आंतों की गति को कम कर मोशन बांधता है।
डायरिया में भोजन अवश्य करें। भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिये।
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फूड पॉइजनिंग
इस मौसम में फूड पॉइजनिंग की समस्या बढ जाती है। यह भी बैक्टीरिया के कारण ही होती है। यह बासी, खराब और दूषित भोजन करने से होती है। विषैले तत्व पेट में जाकर आंतों में इन्फैक्शन फैलाते हैं औ फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं।

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घर का खाना खायें।
खाना बनाते समय पके खाने में कच्ची चीजें न मिलायें, कच्ची सामग्री खराब जल्दी हो जाती है और पूरे खाने को खराब कर देती है।
कच्चा खाना और पका भोजन, दोनों अलग-अलग खायें।
भोजन करने से पहले हाथों को अच्छे से धोकर साफ करें।
भोजन बनाने से पहले भी हाथों को धोयें।
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
एक चम्मच शहद में अदरक के रस की कुछ बूंदें व पानी मिलाकर दिन में दो बार पीयें, इससे पेट का दर्द और सूजन कम होगी।
जीरा पेट की सूजन कम करने में कारगार है। जीरे को पीसकर सूप में मिलायें, जीरा जख्मों को भी भरता है।
केला खाने से फूड पॉइजनिंग में आराम मिलता है। पोटेशियम बेहतरीन स्रोत होने के कारण यह शरीर में होने वाले नुकसान की भरपाई करता है।
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शरीर से बदबू आना
गर्मियों में सबसे बडी समस्या हर समय फ्रेश नजर आने की होती है। शरीर से पसीना अधिक आने के कारण, बदबू और थकान अधिक होती है। पसीना अंडरआर्म्स से अधिक निकलता है। पसीना बैक्टीरिया के साथ मिलकर बदबू पैदा करता है। कई बार इससे त्वचा पर रेसिस भी बन जाते हैं।

डियोडरेंट्स, एंटी पर्सपिरेंट्स टैलकम पाउडर और परफ्यूम्स शरीर से आने वाली बदबू को कुछ समय के लिये तो दूर कर देते हैं किन्तु समस्या जस की तस बनी रहती है।
नहाने के बाद शरीर को तौलिये से रगडकर अच्छे से साफ करें। रगडकर साफ करने से बदबू पैदा करने वाले जर्म्स और बदबू दूर होती है। शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं, इससे ताजगी का अहसास होता है।
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रोजाना आठ से दस गिलास पानी पीयें, पानी शरीर के पसीने को डाइल्यूट करता है और शरीर में तीखी गंध को पनपने से रोकता है।
वीट ग्रास में खून को साफ करने की अद्भुत शक्ति है, इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। वीट ग्रास जूस में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होने के कारण यह बैक्टीरिया से लडता है। यह शरीर के लिए प्राकृतिक साबुन का कार्य करता है।
शरीर की बदबू दूर करने के लिए नहाने के पानी में बेकिंग सोडा मिलायें। शरीर को रगड कर साफ करें, अंत में साफ और सादा पानी से नहायें।
नहाने के पानी में खीरे का रस मिलायें। खीरे में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
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नहाने के पानी में कुछ बूंदे नींबू के रस की डालें, या फिर नींबू का ऊपरी छिलका कद्दूकस करके डालें, इससे पानी एंटी-बैक्टीरियल बन जाता है। इसके प्रयोग से शरीर में बदबू नहीं आती।
पुदीने के पत्तों का पेस्ट बनाकर बदबू वाले हिस्सों पर लगायें, आधे घंटे बाद धो दें।
खूब ताजे और ताजी सब्जियां खायें, प्याज-लहसुन का प्रयोग कम करें।
गर्मियों में सूती व खुले वस्त्र पहनें। इन कपडों से पसीना कम आता है और सूखता भी जल्दी है।
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