कूल्हे में दर्द के कारण और उपचार | Hip pain causes and treatment
Updated: Aug 2, 2022

उम्र बढने के साथ-साथ शरीर को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पडता है। इसके कई कारण हैं। सर्दियों में दर्द की समस्या बढ जाती है। सर्दियों में तापमान में गिरावट के कारण भी ज्वाइंट पेन बढ जाता है। सर्दियों में बैरामीटर के दवाब में गिरावट होने से मांसपेशियों और टिश्यू का विस्तार होता है। प्रकृति से शरीर में हर मांसेपेशियों, तंतुओं, हडिडयों आदि के लिए सीमित स्थान दिया है। जब शरीर का कोई भी आंतरिक अंग आवश्यकता से अधिक बढता है तो समस्याएं पैदा होती हैं। सर्दियों में टिश्यू के विस्तार से जोडों में दर्द की समस्या पैदा होती है। जिन्हें अर्थराइटिस होता उन्हें इन समस्याओं का सामना अधिक करना पडता है।
इसके अलावा उम्र बढने के साथ ही हडिडयों में फ्लूइड की कमी हो जाती है, जिससे कूल्हे में दर्द होने लगता है। फ्लूइड की कमी के कारण हडिडयों में रगड पैदा होती है। रगड से हडिडयां कमजोर हो जाती हैं, और रगड खाकर धीरे-धीरे टूटने लगती हैं। यहीं से कूल्हे के दर्द की समस्याओं की शुरूआत होती है।
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यदि उपरोक्त समस्याओं को नजरअंदाज किया जाये तो यह गंभीर रूप ले सकती हैं और आपकी जिंदगी को प्रभावित कर सकती हैं।
दर्द के लक्षण
दर्द कमर दर्द से नितंबों तक पहुंचता है।
जांघों में दर्द रहने लगता है।
कभी-कभी यह दर्द काफी तेज हो जाता है।
समस्या बढने से कूल्हे के जोडों के अंदर भी दर्द होने लगता है।
दर्द के कारण
कैल्शियम की कमी
विटामिन डी की कमी
चीनी का अधिक सेवन
कूल्हे के जोडों की बनावट प्रभावित
नशे का अधिक सेवन।
पौष्टिक आहार न लेना
अनियमित जीवन शैली
जंक फूड और पैक्ड फूड का अधिक सेवन
समय के साथ-साथ मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, जिनसे दर्द की समस्या पैदा होती है। हमारे शरीर की प्रत्येक गतिविधि का असर हमारी मांसपेशियों, नसों और जोडों पर पडता है। मोच या झटका लगने से भी दर्द हो सकता है।
फैक्चर भी दर्द की वजह हो सकती है। उम्र दराज लोगों को इस प्रकार की समस्या का सामना अधिक करना पडता है। फिसल कर गिरने से फैक्चर का सामना करना पडता है।
कई बार जोडों में संक्रमण हो जाता है। इसके कारण भी दर्द हो सकता है। कूल्हे के जोडों में किसी प्रकार का संक्रमण होने से भी दर्द, सूजन और खिचाव पैदा हो सकता है।
उपचार
सर्वप्रथम अपने खान-पान का पूरा ध्यान रखें। ।
अपने भोजन में सभी पौष्टिक तत्वों को शामिल करें।
पानी अधिक पीयें।
कैल्शियम और विटामिड डी की कमी को पूरा करने के लिए ताजे और मौसमी फलों का नियमित रूप से सेवन करें।
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योग और आसन को अपने जीवन का हिस्सा बनायें।
हरी सब्जियों का सेवन करें।
तिल का सेवन करें। हो सकते तो तिल और आटे का मिलाकर रोटियां बनायें। और सेवन करें।
मल्टीग्रेन आटे का सेवन करें।
स्टीम बाथ लें, शरीर और जोडों की नियमित रूप से मालिश करें।
मालिश में तिल के तेल का प्रयोग करें।
सही नाम के जूत या स्लीपर पहनें।
हील्स पहनने से परहेज करें।
यदि फिर भी दर्द की समस्या रहती है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।